M Jamali by السلام علیکم✍️welcome✍️ Hazarat e jul qarnain

Hazarat e jul qarnain

 

Hazarat e jul qarnain

                    "" जुल करनैन क्यूं कहलाए ?""

 " हुज़ूर ﷺ ने फरमाया कि येह जुल करनैन ( दो सींगों वाले ) के लकब से इस लिये मशहूर हो गए कि इन्हों ने दुन्या के दो सींगों या'नी दोनों किनारों का चक्कर लगाया था। और बा'ज़ का क़ौल है कि इन के दौर में लोगों के दो करन ख़त्म हो गए सो बरस का एक करन होता है। और बा'ज़ कहते हैं कि इन के दो गैसू थे इस लिये जुल करनैन कहलाते हैं । और यह भी एक क़ौल है कि इन के ताज पर दो सींग बने हुवे थे । और बा'ज़ इस के क़ाइल हैं कि खुद इन के सर पर दोनों तरफ़ उभार था जो सींग जैसा नज़र आता था और बाज़ों ने येह वजह बताई कि चूंकि इन के बाप और मां नजीबुत्तरफैन और शरीफ जादे थे इस लिये लोग इन को जुल करनैन कहने लगे।


 अल्लाह तआला ने उन को तमाम रूए ज़मीन की बादशाही अता फरमाई थी । दुन्या में कुल चार बादशाह ऐसे हुवे हैं जिन को पूरी ज़मीन की पूरी बादशाही मिली । इन में दो मोअमिनीन थे और दो काफ़िर ।

 मोमिन तो{ हज़रते सुलैमान अलैहिस्सलाम} {जुल क़रनैन} हैं और काफ़िर एक ( बख़्ते नस्र ) और

 दूसरा( नमरूद) है। 

और तमाम रूए ज़मीन के एक पांचवें बादशाह इस उम्मत में होने वाले हैं जिन का इस्मे गिरामी{ हज़रते इमाम मेंहदी है ) 

 जुल क़रनैन के तीन सफ़र : कुरआने मजीद में

 हज़रते जुल क़रनैनक़ के तीन सफ़रों का हाल बयान हुवा है जो सूरए कहफ में है। हम कुरआने मजीद ही से इन तीनों सफ़रों का हाल तहरीर करते हैं, जिन की रूदाद बहुत ही अजीब और इब्रत खैज़ है।

Hazarat e jul qarnain


"1"पहला सफर : - हज़रते जुल क़रनैन ने पुरानी किताबों में पढ़ा था कि साम बिन नूहु की अवलाद में से एक शख्स आबे हुयात के चश्मे से पानी पी लेगा तो उस को मौत न आएगी। इस लिये हज़रते जुल करनैन ने मग्रिब का सफ़र किया। आप के साथ हज़रते खिज्र भी थे वोह तो आबे हयात के चश्मे पर पहुंच गए और उस का पानी भी पी लिया।

 मगर हज़रते जुल क़रनैनक़ के मुक़द्दर में नहीं था, वोह महरूम रह गए। इस सफ़र में आप जानिबे मगरिब रवाना हुवे तो जहां तक आबादी का नामो निशान है।

 वोह सब मन्ज़िलें तै कर के आप एक ऐसे मक़ाम पर पहुंचे कि उन्हें सूरज गुरुब के वक्त ऐसा नज़र आया कि वोह एक सियाह चश्मे में डूब रहा है । जैसा कि समन्दरी सफर करने वालों को आफ्ताब समन्दर के काले पानी में डूबता नज़र आता है। वहां उन को एक ऐसी कौम मिली जो जानवरों की खाल पहने हुवे थी। इस के सिवा कोई दूसरा लिबास उन के बदन पर नहीं था। और दरयाई मुर्दा जानवरों के सिवा उन की गिज़ा का कोई दूसरा सामान नहीं था। येह क़ौम " नासिक " कहलाती थी। हज़रते जुल क़रनैन ने देखा कि इन के लश्कर बेशुमार हैं। और येह लोग बहुत ही ताकतवर और जंग जू हैं। तो हज़रते जुल करनैन ने इन लोगों के गिर्द अपनी फ़ौजों का घेरा डाल कर इन लोगों को बेबस कर दिया।

 चुनान्चे , कुछ तो मुशर्रफ़ ब ईमान हो गए और कुछ आप की फ़ौजों के हाथों मक्तूल हो गए।

"2" दूसरा सफर :  फिर आप ने मशरिक का सफ़र फ़रमाया यहां तक कि जब सूरज तुलूअ होने की जगह पहुंचे तो येह देखा कि वहां एक ऐसी क़ौम है जिन के पास कोई इमारत और मकानात नहीं हैं। उन लोगों का येह हाल था कि सूरज तुलूअ होने के वक्त येह लोग जमीन की गारों में छुप जाते थे। और सूरज ढल जाने के बाद गारों से निकल कर अपनी रोज़ी की तलाश में लग जाते थे।

 येह लोग क़ौमे " मन्सक " कहलाते थे।

 हज़रते जुल करनैन ने इन लोगों के मुकाबले में भी लश्कर आराई की और जो लोग ईमान लाए उन के साथ बेहतरीन सुलूक किया और जो अपने कुफ्र पर अड़े रहे उन को तहे तैंग कर दिया।


"3"तीसरा सफ़र :  फिर आप ने शिमाल की जानिब सफ़र फ़रमाया यहां तक कि " सदीन " ( दो पहाड़ों के दरमियान )

 में पहुंचे तो वहां कि आबादी की अजीबो गरीब ज़बान थी। उन लोगों के साथ इशारों से ब मुश्किल बात चीत की जा सकती थी।

 उन लोगों ने हज़रते जुल करनैन से याजूज व माजूज के मज़ालिम की शिकायत की

 और आप की मदद के तालिब हुवे।

 याजूज व माजूज :  येह याफ़ष बिन नूह की अवलाद में से एक फ़सादी गिरौह है। और इन लोगों की तादाद बहुत ही ज़ियादा है। येह लोग बला के जंगजूं खूंख्वार और बिल्कुल ही वहशी और जंगली हैं। जो बिल्कुल जानवरों की तरह रहते हैं। मौसिमे रबीअ में येह लोग अपने गारों से निकल कर तमाम खेतियां और सब्जियां खा जाते थे। और खुश्क चीज़ों को लाद कर ले जाते थे। आदमियों और जंगली जानवरों यहां तक कि सांप , बिच्छू , गिरगिट और हर छोटे बड़े जानवर को खा जाते थे।

 सद्दे सिकन्दरी : हज़रते जुल क़रनैन से लोगों ने फ़रयाद की, कि आप हमें याजूज व माजूज के शर और उन की ईज़ा रसानियों से बचाइये और इन लोगों ने इन के इवज़ कुछ माल देने की भी पेशकश की तो हज़रते जुल करनैन ने फ़रमाया कि मुझे तुम्हारे माल की ज़रूरत नहीं है। अल्लाह तआला ने मुझे सब कुछ दिया है। बस तुम लोग जिस्मानी मेहनत से मेरी मदद करो।

 चुनान्चे , आप ने दोनों पहाड़ों के दरमियान बुन्याद खुदवाई। जब पानी निकल आया तो इस पर पिघलाए हुवे तांबे के गारे से पथ्थर जमाए गए और लोहे के तख़्ते नीचे ऊपर चुन कर उन के दरमियान में लकड़ी और कोइला भरवा दिया। और उस में आग लगवा दी। इस तरह येह दीवार पहाड़ की बुलन्दी तक ऊंची कर दी गई और दोनों पहाड़ों के दरमियान कोई जगह न छोड़ी गई। फिर पिघलाया हुवा तांबा दीवार में पिला दिया गया जो सब मिल कर बहुत ही मज़बूत और निहायत मुस्तहकम दीवार बन गई।

सद्दे सिकन्दरी कब टूटेगी ? :  हृदीष शरीफ़ में है कि याजूज व माजूज रोज़ाना इस दीवार को तोड़ते हैं। और दिन भर जब मेहनत करते करते इस को तोड़ने के करीब हो जाते हैं। तो इन में से कोई कहता है कि अब चलो बाक़ी को कल तोड़ डालेंगे। दूसरे दिन जब वोह लोग आते हैं तो खुदा के हुक्म से वोह दीवार पहले से भी जिया़दा मजबूत हो जाती है। जब इस दीवार के टूटने का वक्त आएगा तो इन में से कोई कहेगा कि अब चलो इंशा अल्लाह कल दीवार को तोड़ डालेंगे । इन लोगों के इंशा अल्लाह कल इस कहने की बरकत और इस कलिमे का येह षमरा होगा कि दूसरे दिन दीवार टूट जाएगी। येह क़ियामत क़रीब होने का वक्त होगा। दीवार टूटने के बा'द याजूज व माजूज निकल पड़ेंगे और ज़मीन में हर तरफ़ फ़ितना व फ़साद और क़त्लो गारत करेंगे। चश्मों और तालाबों

में से पानी पी डालेंगे और जानवरों

 और दरख़्तों को खा डालेंगे। ज़मीन पर हर जगहों में फैल जाएंगे। मगर मक्कए मुकर्रमा व मदीनए तय्यिबा व बैतुल मुक़द्दस इन तीनों शहरों में येह दाखिल न हो सकेंगे। फिर हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम की दुआ से उन लोगों की गर्दनों में कीड़े पैदा हो जाएंगे और येह सब के सब हलाक हो जाएंगे।

 कुरआने मजीद में है,

  तर्जमए कन्जुल ईमान : - यहां तक कि जब खोले जाएंगे याजूज व माजूज और वोह हर बुलन्दी से ढलकते होंगे ।

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