हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम " के बारह " हवारी " जो आप पर ईमान ला कर और अपने अपने इस्लाम का एलान कर के अपने तन मन धन से "हजरते ईसा अलैहिस्सलाम" की नुस्रत व हिमायत के लिये हर वक्त और हर दम कमरबस्ता रहे , येह कौन लोग थे ? और इन लोगों को " हवारी " का लक़ब क्यूं और किस माना के लिहाज़ से दिया गया?
तो इस बारे में साहिबे तफ्सीरे जमल ने फ़रमाया कि " हवारी " का लफ्ज़ “ हर ” से मुश्तक है। जिस के माना सफ़ेदी के हैं। चूंकि इन लोगों के कपड़े निहायत सफ़ेद और साफ़ थे और इन के कुलूब और निय्यतें भी सफ़ाई सुथराई में बहुत बुलन्द मक़ाम रखती थीं। इस बिना पर इन लोगों को " हवारी " कहने लगे।
और बा'ज़ मुफस्सिरीन का क़ौल है कि चूंकि येह लोग रिज्के हलाल तलब करने के लिये धोबी का पेशा इख़्तियार कर के कपड़ों की धुलाई करते थे इस लिये येह लोग “ हवारी ” कहलाए।
और एक क़ौल येह भी है कि येह सब लोग शाही ख़ानदान से थे और बहुत ही साफ़ और सफ़ेद कपड़े पहनते थे इस लिये लोग इन को हवारी कहने लगे। "हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम" के पास एक पियाला था। जिस में आप खाना खाया करते थे। और वोह पियाला कभी खाने से खाली नहीं होता था। किसी ने बादशाह को इस की इत्तिलाअ दे दी तो उस ने आप को दरबार में तलब कर के पूछा कि आप कौन हैं? तो आप ने फ़रमाया कि मैं ईसा बिन मरयम ख़ुदा का बन्दा और उस का रसूल हूं। वोह बादशाह आप की जात और आप के
मोजिजात से मुतअष्षिर हो कर आप पर ईमान लाया और सल्तनत का तख़्तो ताज छोड़ कर अपने तमाम अकारिब के साथ आप की ख़िदमत में रहने लगा। चूंकि शाही खानदान बहुत ही सफ़ेद पोश था। इस लिये येह सब " हवारी " के लक़ब से मशहूर हो गए।
क और एक क़ौल यह भी है कि येह सफेद पोश मछेरों की एक जमाअत थी जो मछलियों का शिकार किया करते थे ,
"हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम" इन लोगों के पास तशरीफ़ ले गए और फ़रमाया कि तुम लोग मछलियों का शिकार करते हो अगर तुम लोग मेरी पैरवी करने पर कमरबस्ता हो जाओ तो तुम लोग आदमियों का शिकार कर के उन को हयाते जावेदानी से सरफ़राज़ करने लगोगे। उन लोगों ने आप से
मोजिजा तलब किया तो उस वक्त “ शमऊन ” नामी मछली के शिकारी ने दरया में जाल डाल रखा था मगर सारी रात गुज़र जाने के बा वुजूद एक मछली भी जाल में नहीं आई तो आप ने फ़रमाया कि अब तुम जाल दरया में डालो।
चुनान्चे, जैसे ही उस ने जाल को दरया में डाला लम्हा भर में इतनी मछलियां जाल में फंस गई कि जाल को कश्ती वाले नहीं उठा सके। चुनान्चे , दो कश्तियों की मदद से जाल उठाया गया और दोनों कश्तियां मछलियों से भर गई। येह मोजिज़ा देख कर दोनों कश्ती वाले जिन की तादाद बारह थी सब कलिमा पढ़ कर मुसलमान हो गए। इन ही लोगों का लक़ब
" हवारी " है।
और बाज़ उलमा का क़ौल है कि बारह आदमी
"हजरते ईसा अलैहिस्सलाम" पर ईमान लाए और इन लोगों के ईमाने कामिल और हुस्ने निय्यत की बिना पर इन लोगों को येह करामत मिल गई कि जब भी इन लोगों को भूक लगती तो येह लोग कहते कि या रूहुल्लाह! हम को भूक लगी है, तो
हजरते ईसा अलैहिस्सलाम" ज़मीन पर हाथ मार देते तो ज़मीन से दो रोटियां निकल कर इन लोगों के हाथों में पहुंच जाया करती थीं। और जब येह लोग प्यास से फरयाद किया करते थे तो हजरते ईसा अलैहिस्सलाम" जमीन पर मार दिया करते और निहायत शीरीं और ठन्डा पानी इन लोगों को मिल जाया करता था। इसी तरह येह लोग खाते पीते थे।
एक दिन इन लोगों ने" हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम" से पूछा कि ऐ रूहल्लाह! हम मोमिनों में सब से अफ़ज़ल कौन है? तो आप ने फ़रमाया कि जो अपने हाथ की कमाई से रोज़ी हासिल कर के दिखाए। येह सुन कर इन बारह हज़रात ने रिज्के हलाल के लिये धोबी का पेशा इख़्तियार कर लिया चूंकि येह लोग कपड़ों को धो कर सफ़ेद करते थे इस लिये" हवारी " के लक़ब से पुकारे जाने लगे।
और एक क़ौल येह भी है कि हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम"
को इन की वालिदा ने एक रंगरेज़ के हां मुलाजिम रखवा दिया था । एक दिन रंगरेज़ मुख़्तलिफ़ कपड़ों को निशान लगा कर चन्द रंगों को रंगने के लिये आप के सिपुर्द कर के कहीं बाहर चला गया। आप ने इन सब कपड़ों को एक ही रंग के बरतन में डाल दिया। रंगरेज़ ने घबरा कर कहा कि आप ने सब कपड़ों को एक ही रंग का कर दिया। हालांकि मैं ने निशान लगा कर मुख़्तलिफ़ रंगों का रंगने के लिये कह दिया था। आप ने फ़रमाया कि ऐ कपड़ो! तुम अल्लाह तआला के हुक्म से उन्हीं रंगों के हो जाओ, जिन रंगों का येह चाहता था।
चुनान्चे, एक ही बरतन में से लाल, सब्ज़, पीला, जिन जिन कपड़ों को रंगरेज जिस जिस रंग का चाहता था वोह कपड़ा उसी रंग का हो कर निकलने लगा। आप का येह मोजिजा देख कर तमाम हाज़िरीन जो सफ़ेद पोश थे और जिन की तादाद बारह थी, सब ईमान लाए येही लोग “ हवारी " कहलाने लगे। हज़रते इमाम कुफ़ाल ने फ़रमाया कि मुमकिन है कि इन बारह हवारियों में कुछ लोग बादशाह हों और कुछ मछेरे हों और कुछ धोबी हों और कुछ रंगरेज़ हों। चूंकि येह
" हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम" के मुख़्लिस जां निषार थे। और इन लोगों के कुलूब और निय्यतें साफ़ थीं। इस बिना पर इन बारह पाक बाज़ों और नेक नफ्सों को " हवारी " का लक़बे मुअज्ज्ज अता किया गया। क्यूंकि " हवारी " माना मुख़िलस दोस्त के हैं।
बहर हाल कुरआने मजीद में हवारियों का ज़िक्र फ़रमाते हुवे अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया कि---
तर्जमए कन्जुल ईमान ;
फिर जब ईसा ने उन से कुफ़्र पाया बोला कौन मेरे मददगार होते हैं अल्लाह की तरफ। हवारियों ने कहा हम दीने खुदा के मददगार हैं हम अल्लाह पर ईमान लाए और आप गवाह हो जाएं कि हम मुसलमान हैं।
दूसरी जगह कुरआने मजीद में इरशाद फ़रमाया कि--
तर्जमए कन्जुल ईमान ; और जब मैं ने हवारियों के दिल में डाला कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ, बोले हम ईमान लाए और गवाह रह कि हम मुसलमान हैं।
""" दर्से हिदायत : - हज़रते ईसा के हावारी अगर्चे ता ' दाद में सिर्फ बारह थे मगर यहूदियों के मुकाबले में आप की नुस्रत व हिमायत में जिस पा मर्दी और अज्म व इस्तिकलाल के साथ डटे रहे उस से हर मुसलमान को दीन के मुआमले में षाबित क़दमी का सबक मिलता है। इस क़िस्म के मुख़्लिस अहबाब और मख़्सूस जां निषार असहाब अल्लाह तआला हर नबी को अता फरमाता है।"""
"" चुनान्चे , जंगे खन्दक के दिन हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि हर नबी के " हवारी " हुवे हैं। और मेरे हवारी " जुबैर " हैं।
और हज़रते क़तादा का बयान है कि कुरैश में बारह सहाबए किराम हुज़ूर के " हवारी " हैं।
जिन के नामे नामी येह हैं।
( 1 ) हज़रते अबू बक्र
( 2 ) हज़रते उमर
( 3 ) हज़रते उषमान
( 4 ) हज़रते अली
( 5 ) हज़रते हुम्ज़ा
( 6 ) हज़रते जा ' फर
(7) हज़रते अबू उबैदा बिन अल जर्राह
( 8 ) हज़रते उषमान बिन मज़ऊन
(9) हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ़
(10) हज़रते सा'द बिन अबी वक़्क़ास
( 11 ) हज़रते तल्हा बिन उबैदुल्ला
( 12 ) हज़रते जुबैर बिन अल अववाम (रज़ी अल्लाहु त'ला अनहुम)
कि इन मुख़्लिस जां निषारों ने हर मौकअ पर हुज़ूर ﷺ की नुस्रत व हिमायत का बे मिषाल रेकॉर्ड क़ाइम कर दिया ।
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