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ग़ज़ल 1
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•क्यों कर न हों हसीन मेरे दोस्तों के फूल
•यह राहतों के फूल हैं यह उलफतों के फूल
•महकी हुई है प्यार से फिर बारिशों की शाम
•हम भी गले लगायें नई चाहतों के फूल
•चेहरों पे जिन्दगी की धनक सी तनी रहे
•खुशियों से मुस्कराये हसीं दावतों के फूल
•कदमों को चूम लेंगी तरक़्क़ी की मंजिलें
•पहले खिलायें खूब कड़ी मेहनतों के फूल
ग़ज़ल 2
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•जाल खुशी के बुनता हूं
•मैं भी तुम्हारे जैसा हू
•तुझसे बिछड़ के मैं अब तो
•देख ले तन्हा रहता हूं
•याद में तेरी रोज़ो शब
•मोम की तरहां घुलता हूं
•राहे वफ़ा में अक्सर मैं
•खुद से धोका खाता हूं
•सबसे वफाएं करके मैं
•तेरे नगर में तन्हा हूं
•देख ले आकर ख़्वाबों में
•तुझसे बिछड़ कर कैसा हूं
ग़ज़ल 3
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•अपने काबिल न समझा किसी ने
•मुझको मारा मेरी सादगी ने
•मैं हर इक राह से बदगुमा हू
•मुझको लूटा है यूं इक गली ने
•हमने पाया है कुछ दोस्ती से
•और कुछ है दिया दुश्मनी ने
•मैं हर इक से उलझने लगा हूं
•इतना उलझा दिया जिन्दगी ने
•मेरे दिल को बहुत ही छला है
•रंग , खुशबू , घटा , चान्दनी ने
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