-----------------------------------------------------------------------------
----------------- सजदए सहव का बयान --------------------
सवाल = सजदए सहव किसे कहते हैं ?
जवाब= कभी नमाज़ मे भूल से कोई ख़ास ख़राबी पैदा हो जाती है. उस खराबी को दूर करने के लिये कअदए अख़ीरा में दो सजदे किये जाते हैं उनको सजदए सहव कहते हैं।
सवाल= किन बातों से सजदए सहव वाजिब होता है ?
जवाब= जो बातें नमाज़ में वाजिब हैं उनमें से किसी एक के भूल कर छूट जाने से सजदए सहव वाजिब होता है जैसे फर्ज की पहली या दूसरी रकअत में अल्हम्द या सूरत पढ़ना भूल गया या अल्हम्द से पहले सूरत पढ़ दी तो इन सूरतों में सजदए सहव करना वाजिब होता है।
सवाल= सजदए सहव का तरीका क्या है ?
जवाब= सजदए सहव का तरीका यह है कि आख़िरी कअदे में अत्तहिय्यात वरसूलुहू तक पढ़ने के बाद सिर्फ दाहिनी जानिब सलाम फेर कर दो सजदे करे फिर अत्तहिय्यात दुरूद शरीफ़ वगैरह पढ़ कर सलाम फेर दे।
सवाल= फ़र्ज़ और सुन्नत के छूट जाने से सजदए सहव वाजिब होता है या नही ?
जवाब= फ़र्ज़ छूट जाने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है सजदए सहव से वह सही नहीं हो सकती बल्कि दोबारा पढ़ना पड़ेगी और सुन्नत व मुस्तहिब जैसे तसमिया , सना और तअब्बुज़ छूट जाने से सजदए सहव वाजिब नहीं होता बल्कि नमाज़ हो जाती है मगर दोबारा पढ़ना मुस्तहब " बेहतर "है।
सवाल= किसी वाजिब को जान बूझ कर छोड़ दिया तो सजदए सहव से नमाज़ हो जायेगी या नहीं ?
जवाब= अगर किसी वाजिब को जान बूझ कर छोड़ दिया तो सजदए सहव से नमाज़ नहीं होगी बल्कि नमाज़ को दोबारा पढ़ना वाजिब है इसी तरह अगर भूल कर किसी वाजिब को छोड़ दिया और सजदए सहव न किया जब भी नमाज़ का दोबारा पढ़ना वाजिब है।
-----------------------------------------------------------------------------
----------------------------'''' समाप्त ''''----------------------------------
0 Comments