M Jamali by السلام علیکم✍️welcome✍️ फिरऔनियो पर पाँचवा अजा़ब।

फिरऔनियो पर पाँचवा अजा़ब।


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           फिरऔनियो पर         
           पाँचवा अजा़ब           
              "खून"                  
एक दम बिल्कुल अचानक उन लोगों के तमाम कंओं , नहरों का पानी खून हो गया तो उन लोगों ने फ़िरऔन से फ़रियाद की , तो उस सरकश ने कहा कि येह हज़रते मूसा अलैहिस सलाम की जादूगरी और नज़रबन्दी है । येह सुन कर फ़िरऔनियों ने कहा कि येह कैसी और कहां की नज़र बन्दी है ? कि हमारे खाने पीने के बरतन खून से भरे पड़े हैं और मोअमिनीन पर इस का ज़रा भी अषर नहीं तो फ़िरऔन ने हुक्म दिया कि फ़िरऔनी लोग मोअमिनीन के साथ एक ही बरतन से पानी निकालें । मगर खुदा की शान कि मोअमिनीन उसी बरतन से पानी निकालते तो निहायत ही साफ़ सफ्फाफ़ और शीरीं पानी निकलता और फ़िरऔनी जब उसी बरतन से पानी निकालते तो ताजा खालिस खून निकलता। यहां तक कि फ़िरऔनी लोग प्यास से बे क़रार हो कर मोअमिनीन के पास आए और कहा कि हम दोनों एक ही बरतन से एक ही साथ मुंह लगा कर पानी पियेंगे मगर कुदरते खुदावन्दी का अजीब जल्वा नज़र आता।
एक ही बरतन से एक साथ मुंह लगा कर दोनों पानी पीते थे मगर मोअमिनीन के मुंह में जो जाता वोह पानी होता था। और फिरऔन वालों के मुंह में जो जाता वोह खून होता था। 
मजबूर हो कर फिरऔन और फिरऔनी लोग घास और दरख्तों की जड़ें और छालें चबा चबा कर चूसते थे।
मगर इस की रुतूबत भी उन के मुंह में जा कर खून बन जाती थी।
अल ग़रज़ फिरऔनियों ने फिर गिड़ गिड़ा कर
हजरते मूसा अलैहिस सलाम  से दुआ की दरख्वास्त की। तो आप ने पैगम्बराना रहमो करम फ़रमा कर फिर इन लोगों के लिये दुआए खैर फ़रमा दी तो सातवें दिन इस खूनी अज़ाब का साया भी उन के सरों से उठ गया। अल ग़रज़ इन सरकशों पर मुसलसल पांच अज़ाब आते रहे और हर अज़ाब सातवें दिन टलता रहा और हर दो।
 अज़ाबों के दरमियान एक माह का फ़ासिला होता रहा मगर फ़िरऔन और फ़िरऔनियों के दिलों पर शकावत व बद बख़्ती की ऐसी मोहर लग चुकी थी कि फिर भी वोह ईमान नहीं लाए और अपने कुफ्र पर अड़े रहे और हर मरतबा अपना अहद तोड़ते रहे।
 यहां तक कि अल्लाह तआला के कहरो गज़ब का आख़िरी अज़ाब आ गया।
कि फ़िरऔन और उस के मुत्तबेईन सब दरियाए नील में गर्क हो कर हलाक हो गए।
और हमेशा के लिये खुदा की दुनिया इन अहद शिकनों और मर्दूदों से पाक व साफ़ हो गई और येह लोग दुनिया से इस तरह नैस्तो नाबूद कर दिये गए कि रूए ज़मीन पर इन की कब्रों का निशान भी बाकी नहीं रह गया।
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