------- फिरऔनियाँ पर-----------------चौथा अजा़ब---------
मेंढक।
इन फ़िरऔनियों की बस्तियों और इन के घरों में अचानक बेशुमार मेंढक पैदा हो गए और इन जा़लिमों का येह हाल हो गया कि जो आदमी जहां भी बैठता उस की मजलिस में हजारों मेंढक भर जाते थे। कोई आदमी बात करने या खाने के लिये मुंह खोलता तो उस के मुंह में मेंढक कूद कर घुस जाते।
हांडियों में मेंढक,
उन के जिस्मों पर सेंकडों मेंडक सुवार रहते। उठने
- बैठने- लैटने किसी हालत में भी मेंढकों से नजात नहीं मिलती थी । इस अज़ाब से फ़िरऔनी रो पड़े और फिर रोते गिड़ गिड़ाते
{हज़रते मूसा।} "अलैहिस सलाम"
की बारगाह में दुआ की भीक मांगने के लिये आए और बड़ी बड़ी कस्में खा कर अहदो पैमान करने लगे कि अब हम ज़रूर ईमान लाएंगे और मोअमिनीन को कभी ईजा नहीं देंगे।
चुनान्चे , {हजरते है मूसा} "अलैहिस सलाम"
की दुआ से सातवें दिन येह अज़ाब भी उठा लिया गया मगर येह मर्दूद कौम राहत मिलते ही फिर अपना अहद तोड़ कर अपनी पहली खबीष हरकतों में मश्गूल हो गई । मोअमिनीन को सताने लगे और {हज़रते मूसा} "अलैहिस सलाम"
की तौहीन व बेअदबी करने लगे तो फिर अजा़बे इलाही ने इन जालिमों को अपनी गिरिफ्त में ले लिया और उन लोगों पर खून का अजाब कहरे इलाही बन कर उतर पड़ा।
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