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तरावीह की नमाज़ का बयान"
तरावीह वह बीस रकात सुन्नते मुअक्कदा नमाज़ हैं जो रमजा़न शरीफ में पढी़ जाती है।
इशा की फर्ज़ के बाद हर रात में।
{ मसला } तरावीह का वक़्त एशा के फर्ज़ पढ़ने के बाद से लेकर सुबह शादिक के निकलने तक है
{ मसला }तरावीह में जमात सुन्नत किफाया है कि अगर मस्जिद के सब लोगों ने छोड़ दी तो सब गुनाहगार हुए और अगर किसी एक ने घर में तन्हा पढ़ लीह तो गुनाहगार नहीं।
{ मसला }मुस्तहब यह है कि तिहाई रात तक ताखीर करें और अगर आधी रात के बाद पढ़ें तो भी कराहत नहीं।
{ मसला } तरावीह जिस तरह मर्दो केलिये सुन्नत मुअक्कदा है उसी तरह औरतो के लिये भी सुन्नत मुअक्कदा है इसका छोड़ना जाएज नहीं
{ मसला } तरावीह की बीस रकातें दो दो रकात करके दस सलाम से पढे़। इसमें हर चार रकात पढ़ लेने के बाद इतनी देर तक आराम लेने के लिये बैठना मुस्तहब है जितनी देर में चार रकातें पढ़ी हैं इस आराम करने के लिये बैठने को तरवीह कहते हैं।
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