नैक वीवी।
= हज़रते तल्हा बिन उबैदुल्लाह सहाबिये रसूल थे , एक बार आप को हज़रमौत से सात लाख दिरहम मौसूल हुए तो रात भर बेचैन रहे , आप की जौजा ने पूछा : आप को क्या हुवा है ? फ़रमाया : मैं रात से फ़िक्र मन्द हूं कि वोह शख़्स अपने रब की बारगाह में कैसे हाज़िर होगा जो इस हाल में रात गुज़ार रहा हो कि उस के घर में येह माल मौजूद हो। सआदत मन्द बीवी ने अर्ज की : इस में परेशानी की क्या बात है ? आप अपने नादार दोस्तों को क्यूं भूल रहे हैं ? सुबह होते ही उन्हें बुला कर येह सारा माल उन में तक़सीम कर दीजिये। नेक बख़्त बीवी की येह तज्वीज़ सुन कर आप खुश हो गए।
और फ़रमाया : अल्लाह पाक आप पर रहम फ़रमाए , आप वाकेई नेक बाप की नेक बेटी हैं। चुनान्चे सुब्ह होते ही आप ने मुहाजिरीन व अन्सार सहाबए किराम में तक्सीम करना शुरू कर दिया।
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हज़रते तल्हा बिन उबैदुल्लाह की इन जौजए मोहतरमा का नाम हज़रते उम्मे कुल्सूम है , जो अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सिद्दीक़े अक्बर की बेटी थीं।
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~={ हमारे सहाबए किराम की सखावतें ऐसी थीं। हमारे पास पैसे आ जाएं तो खुशी के मारे बेचैन हो जाएं जब कि इन हज़रात के पास जब दौलत आती तो सदमे के मारे इन की हालत मुज़तरिब हो जाती कि येह दौलत कहां से आ टपकी ? अब मैं इस का क्या करूं ? हज़रते तल्हा बिन उबैदुल्लाह की तो बात ही कुछ और है और इन की ज़ौजए मोहतरमा भी कैसी नेक औरत थीं। वोह दौर ही नेकों का दौर था।
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अगर मियां बीवी का ख़ातिमा ईमान पर हुवा तो येह दोनों जन्नत में साथ रहेंगे। अगर उन में से किसी का ईमान सलामत न रहा तो दोज़ख़ उस का ठिकाना होगा और जो जन्नत में जाएगा उस का किसी दूसरे जन्नती से निकाह हो जाएगा।
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