ग़ज़ल(01)
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•प्यार मांगा मेरी ज़िन्दगी ने
•बेवफाई मगर की किसी ने
•आग दिल में लगाई है मेरे
•चांदनी रात में चांदनी ने
•भूल ऐसी न कोई करे फिर
•फूल बनकर जो की है कली ने
•आज दिल में बसेरा है ग़म का
•कल बसाई थी बस्ती खुशी ने
•आरजू का चमन रौन्द डाला
•एक सितमगर तेरी बेरुखी ने
•अपनी हालत से हम बेख़बर हैं
•लाके छोड़ा कहां आशिक़ी ने,
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ग़ज़ल (2)
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•नज़र में वो अब तक समाये हुए हैं
•जो मुद्दत से मुझको भुलाये हुए हैं
•दुआ की थी खुशियों की बरसात होगी
•मगर ग़म के बादल ही छाये हुए हैं
•शिकायत में ग़ैरों से कैसे करूं अब
•जुदा मुझसे मेरे तो साये हुए हैं
•तेरी आरजू में तेरी जुस्तुजू में
•हर इक शय को दिल से भुलाये हुए हैं
•वो हम से मिलने भी आएंगे इक दिन
•यही सोचकर घर सजाए हुए हैं,
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ग़ज़ल (3)
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•तुमको देखा तो दिल गंवा बैठे
•खुद को दीवाना हम बना बैठे
•दो घड़ी को वो पास आ बैठे
•कितने अरमान हम सजा बैठे
•जिसको तन्हाई रास आ जाए
•वो भला महफ़िलों में क्या बैठे
•देखिए किसकी जान जाती है
•वो तो तीरे नज़र चला बैठे
•तो हमसे हाले दिल कहिए
•लब पे क्यूं खामुशी सजा बैठे
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