रजब का महीना
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हज़रत अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं : बारगाहे रिसालत में अर्ज किया गया कि ( माहे रजब ) का नाम रजब क्यूं रखा गया ? इर्शाद फ़रमाया : क्यूं कि इस में शा ' बान व रमज़ान के लिये खैरे कसीर ( या ' नी बहुत ज़ियादा भलाई ) बढ़ाई जाती है।
रजब का एक और नाम।
माहे रजबुल मुरज्जब का एक नाम “शहरे असम" या'नी बहरा महीना भी है, चुनान्चे मेरे आका आ'ला हज़रत , इमामे अहले सुन्नत, इमाम अहमद रज़ा खान रविय्या में इस नाम की वजह कुछ यूं इर्शाद फ़रमाते हैं: हर महीना अपने हर क़िस्म वक़ाएअ
( या ' नी वाकिआत ) की गवाही देगा सिवाए रजब के कि हसनात ( या'नी अच्छाइयां ) बयान करेगा और सय्यिआत
( या'नी बुराइयों ) के ज़िक्र पर कहेगा मैं बहरा था मुझे ख़बर नहीं, इस लिये इसे " शहरे असम " कहते हैंं।
( फतावा रविय्या , 27/496 )
इमाम अबू हामिद मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली फ़रमाते हैं : रजब को " अल असब " ( या ' नी तेज़ बहाव ) भी कहते हैं इस लिये कि इस माहे मुबारक में तौबा करने वालों पर रहमत का बहाव तेज़ हो जाता है और इबादत करने वालों पर क़बूलियत के अन्वार का फ़ैज़ान होता है।
= हज़रते अल्लामा यूसुफ़ बिन अब्दुल हादी हम्बली फरमाते हैं " रजब का महीना खैर व भलाई की चाबी है।
रजब की तमन्ना करने वाले बुजुर्ग।
एक नेक आलिमे दीन माहे रजबुल मुरज्जब से पहले बीमार हो गए तो फ़रमाने लगे, मैं ने अल्लाह पाक से दुआ की है कि मेरी वफ़ात माहे रजबुल मुरज्जब तक मुअख्खर फरमा द, क्यूं कि मुझे येह ख़बर पहुंची है कि माहे रजब में अल्लाह पाक बन्दों को ( दोजख से ) आज़ाद फ़रमाता है। चुनान्चे अल्लाह पाक ने उन्हें रजबुल मुरज्जब का मुबारक महीना अता फरमाया और इसी महीने में उन का इन्तिकाल हुवा।
हज़रते अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं, रजबुल मुरज्जब का महीना आता तो आका करीम येह दुआ करते थे, तरजमा.
ऐअल्लाह ! हमें रजब व शा ' बान में बरकत अता फरमा और हमें रमज़ान से मिला।
हकीमुल उम्मत, हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान नईमी इस हदीसे पाक की शर्ह में फ़रमाते हैं, या'नी रजब में हमारी इबादतों में बरकत दे और शाबान में खुशूओ खुजूअ दे, और रमज़ान का पाना इस में रोज़े और क़ियाम नसीब कर। सूफियाए किराम फरमाते कि रजब तुख़्म ( यानी बीज ) बोने का महीना है, शाबान पानी देने और रमज़ान काटने का कि रजब में नवाफ़िल में खूब कोशिश करो, शाबान में अपने गुनाहों पर रोओ और रमज़ान में रब्बे करीम को राज़ी कर के इस खेत को खैरिय्यत से काटो।
अल्लाह पाक के आखिरी नबी , मुहम्मदे अरबी {ﷺ} ने इरशाद फ़रमाया. रजब
अल्लाह का महीना है, शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरे उम्मतियों का महीना है,
रजबुल मुरज्जब की पहली रात
अल्लाह पाक के रहमत वाले नबी ﷺ ने फ़रमाया, " पांच रातें ऐसी हैं जिस में दुआ रद नहीं की जाती,( 1 ) रजब की पहली ( या'नी चांद ) रात ( 2 ) पन्दरह शाबान की रात ( या'नी शबे बराअत ) ( 3 ) जुमुआ की रात ( 4 ) ईदुल फित्र की ( चांद ) रात ( 5 ) ईदुल अज़्हा की ( यानी जुल हिज्जा की दसवीं ) रात।
हज़रते खालिद बिन मिदान फ़रमाते हैं,जो रजब की पहली रात की तस्दीक करते हुए ब निय्यते सवाब इस को इबादत में गुज़ारे और उस के दिन में रोज़ा रखे तो अल्लाह पाक उसे दाखिले जन्नत फ़रमाएगा।
फ़रमाने मुस्तफाﷺ रजब के महीने में इस्तिफ़ार की कसरत करो , बेशक इस के हर हर लम्हे में अल्लाह करीम कई कई अफराद को आग से नजात अता फ़रमाता है।
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