🥀 “”नबी करीम हुजूर (स०) ने फरमाया।“”🥀
1» हर दीन ( धर्म ) की पहचान अलग अलग होती है । दीने इस्लाम की पहचान हया ( शर्म ) है।🌹🌹🌹🌹
2» मकर , धोका और खयानत करनेवाला जहन्नम में जाएगा। 🌹🌹🌹🌹🌹
3» बेहतरीन याददाश्त यह है कि इन्सान अपनी नेकियां और दूसरों की ज्यादतियां भूल जाए 🌹🌹🌹🌹
4» दुनिया मोमिन के लिए कैदखाना और दूसरों के लिए जन्नत है।🌹🌹🌹🌹
5» तुम्हारे लिए बेहतरीनदोस्त और साथी वह है जिसे देखो तो तुम्हें खुदा याद आए , जिसकी बातचीत से तुम्हारे इल्म में इजा़फा हो और जिसका अमल तुम्हें आखिरत की याद करवाए।🌹🌹🌹🌹🌹
6» दो नेअमतें ऐसी हैं जिनकी लोग भरपूर कद्र नहीं करते। एक सेहत और दूसरी फरागत।
7» ये लोगों के मुंह से निकली हुई बातें ही हैं जो उन्हें मुंह के बल या नाक के बल दोज़ख में डालेंगी । 🌹🌹🌹🌹
8» जो शख्स ज़बान की हिफाजत का ज़िम्मा ले ले उसके लिए मैं इस बात का जिम्मा लेता हूं कि उसे बहिश्त ( जन्नत ) मिलेगी । 🌹🌹🌹🌹
9» बहुत बड़ा जिहाद यह है कि इन्साफ़ की बात ज़ालिम हाकिम ( शासक ) के मुंह पर ( सामने ) कह दी जाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
हुद हुद
एक बार हुद हुद ने हज़रत सुलेमान से कहा„ “ या हज़रत! मैं आपकी दावत करना चाहता हूं।
" हज़रत सुलेमान (अ०) ने पूछा।
“ सिर्फ मेरी ? " हुद हुद बोला- " नहीं , बल्कि आपके तमाम लश्कर की भी । आप फलां दिन फलां जज़ीरे ( द्वीप ) पर अपने लश्कर के साथ तशरीफ़ लाइए । " तय शुदा वक़्त पर हज़रत सुलेमान (अ०) अपने लश्कर के साथ वहां पहुंचे तो हुद हुद ने उन सबके सामने एक टिड्डा ( कीड़ा ) शिकार किया और उसके टुकड़े करके दरिया में फेंक दिया और कहा "
ए अल्लाह के नबी (अ०) अगरचे गोश्त कम है। लेकिन शोरबा बहुत है। इत्तिफ़ाक़ से जिसे गोश्त न मिले उसे शोरबा ज़रूर मिलेगा। खाना शुरू कीजिए।
हज़रत सुलेमान (अ•) इस वाक़ए को याद करके बहुत खुश होते थे।🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦
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