गलती और कुसूर,,,
एक बावर्ची बादशाह के सामने खाना चुन रहा था। कि सालन का एक क़तरा बादशाह के हाथ पर गिर गया। बादशाह ने फ़ौरन हुक्म दिया। कि उसके दो टुकड़े कर दिए जाएं। यह सुनकर बावर्ची ने पूरा प्याला बादशाह के ऊपर गिरा दिया। बादशाह ने बहुत गुस्से से पूछा " बदकिस्मत! तूने यह क्या हरकत की ?
बावर्ची ने बहुत अदब से जवाब दिया।
हुजूर! कहीं लोग यह ख्याल न करें कि हुजूर बड़े ज़ालिम हैं।
एक छोटी सी ग़लती पर पुराने ख़िदमतगार को क़त्ल करा दिया।
लेकिन अब मैंने जानबूझ कर सालन गिराया है ताकि मुझे कुसूर की सज़ा मिले और लोग आपको ज़ालिम ख्याल न करें। यह सुनकर बादशाह शर्मिन्दा हो गया। और अपना हुक्म वापस ले लिया।
दुश्मन और दुश्मनी"
1=दिखावे की दोस्ती से खुल्लम खुल्ला दुश्मनी बेहतर है।
2=इन्सान जब इन्तिकाम लेता है तो वह अपने दुश्मन के बराबर होता है लेकिन जब मुआफ़ कर देता है तो उसका दर्जा बलन्द हो जाता है।
3=हाथ मिलाया करो इससे दुश्मनी दूर होती है।
4=जो जुल्म और ज्यादती बर्दाश्त कर लेता है वह दुश्मन को मार डालता है।
5=सारी दुनिया को दुश्मन बनाने के लिए सिर्फ कड़वी ज़बान ही काफी है।
परछाइयां,,
1= ज़हन जब गुलाम हो तो ख्यालात आज़ाद नहीं हो सकते।
2= उस चान्दनी की मानिन्द रहो जो अमीर के बंगले पर ही नहीं गरीब की झोंपड़ी पर भी पड़ती है।
3= उस अब्रेबारां की तरह रहो जो फूलों पर ही नहीं कांटों पर भी बरसती है।
4= हमेशा अपनेचराग़जलाने की कोशिश करो कि दूसरों के चराग से रौशनी ढून्ढने वाले अन्धेरों में भटकते रहते हैं।
5= दूसरों से खुशअख़लाक़ी से पेश आओ लेकिन उनसे बदले की उम्मीद मत . रखो।
6= आपका दुश्मन ख्वाह चींटी से छोटा हो , उसे हाथी से बड़ा समझो।
7= ज़िन्दगी इस तरीके से गुजारो कि तुम्हारे बाद तुम्हारा नाम अच्छे अल्फ़ाज़ के साथ याद किया जाए।,,,
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