"अल्लाह तआला" के बारे में कैसा अकीदा रखना चाहिए?"
सवाल»"अल्लाह तआला" के बारे में कैसा अकीदा रखना चाहिए? जवाब»"अल्लाह तआला" एक है उसका कोई शरीक नहीं।आसमान व ज़मीन और सारी मखलूकात का पैदा करने वाला वही है।
वही इबादत के लाइक है दूसरा कोई इबादत के लाइक नहीं है। वही सबको रोज़ी देता है। अमीरी गरीबी और इज्जत व जिल्लत सब उसके इखतियार में है। जिसे चाहता है इज्जत देता है। और जिसे चाहता है जिल्लत देता है। उसका हर काम हिकमत है।
बंदो की समझ में आये या न आये वह हर कमाल व खूबी वाला है।
झूट,दगा, खियानत, जुल्म जिल वगैरह हर ऐब से पाक है। उसके लिए किसी ऐब का मानना कुफ्र है।
सवाल» क्या अल्लाह तआला को बुढ़ऊ कहना जाइज़ है?
जवाब» अल्लाह तआला की शान में ऐसा लफ़्ज़ बोलना कुफ्र
सवाल» बाज़ लोग कहते हैं कि“ ऊपर वाला जैसा चाहेगा वैसा होगा”और कहते हैं“ ऊपर अल्लाह है नीचे तुम हो" या इस तरह कहते हैं कि“ऊपर अल्लाह नीचे पंच हैं।
जवाब» यह सब जुमले गुमराही के हैं, मुसलमानों को इन से बचना निहायत जुरूरी है।
"फ़रिश्ते"
सवाल »फ़रिश्ते क्या चीज़ हैं ?
जवाब»फ़रिश्ते इन्सान की तरह एक मखलूक हैं लेकिन वह नूर से पैदा किए गए हैं। न वह मर्द हैं। न औरत हैं न कुछ खाते हैं न कुछ पीते हैं। जितने काम खुदायेतआला ने उनके सिपुर्द किया है उसी में लगे रहते हैं।
कुछ फ़रिश्ते बंदों का अच्छा बुरा अमल लिखने पर मुकर्रर हैं जिनको किरामन कातिबीन कहा जाता है।
कुछ फ़रिश्ते क़ब्र में मुर्दो से सुवाल करने पर मुकर्रर हैं , जिनको मुनकर नकोर कहा जाता है। और कुछ फ़रिश्ते हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के दरबार में मुसलमानों के दुरुद व सलाम पहुंचाने पर मुक़र्रर हैं , उनके अलावा और भी बहुत से काम हैं जो फ़रिश्ते अनजाम देते रहते हैं। उनमें चार फ़रिश्ते बहुत मशहूर हैं , अव्वल हज़रते जिबरील अलैहिस्सलाम जो अल्लाह तआला के अहकाम पैग़म्बरों तक पहुंचाते थे दूसरे हज़रते इसराफ़ील अलैहिस्सलाम जो क़ियामत के दिन सूर फूंकेंगे तीसरे हज़रते मीकाईल अलैहिस्सालाम जो पानी बरसाने और रोजी पहुंचाने पर मुक़र्रर हैं ,
और चौथे हज़रते इज़राईल अलैहिस्सलाम जो लोगों की जान निकालने पर मुकर्रर हैं। जो शख्स यह कहे फ़रिश्ता कोई चीज़ नहीं या यह कहे कि फ़रिश्ता नेकी की कूवत का नाम है तो वह काफ़िर है।
"खुदाये तआला की किताबें"
सवाल खुदाये तआला की किताबें खुदाये तआला की किताबें कितनी हैं ? खुदाये तआला की छोटी बड़ी बहुत सी किताबें नाज़िल हुई बड़ी किताब को किताब और छोटी को सहीफ़ह कहते हैं , उनमें चार किताबें बहुत मशहूर हैं अव्वल तौरेत जो हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई दूसरे ज़बूर जो हज़रते दाऊद अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई और तीसरे इन्जील जो हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई चौथे कुरान मजीद जो हमारे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर नाज़िल हुआ।
सवाल» पूरा कुरान मजीद एक दफा नाज़िल हुआ या थोड़ा - थोड़ा ?
जवाब »पूरा कुरान मजीद एक दफ़ा इकट्ठा नहीं नाज़िल हुआ बल्कि ज़रूरत के मुताबिक 23 तेईस बरस में थोड़ा - थोड़ा नाज़िल हुआ।
सवाल»क्या कुरान मजीद की हर सूरत और हद आयत पर ईमान लाना जुरूरी है ?
जवाब»हां कुरान मजीद की हर सूरत पर ईमान लाना जुरूरी है अगर एक आयत का भी इन्कार कर दे या यह कहे कि कुरान जैसा नाजिल हुआ था अब वैसा नहीं है , बल्कि घटा बढ़ा दिया गया है तो वह काफ़िर है।
0 Comments