"एक अजीब वजीफ़ा"
मुफस्सिरीन ने फ़रमाया कि
औफ़ बिन मालिक अशजई "رضی الله عنہ"
के एक फ़रज़न्द को जिन का नाम “ सालिम " था , मुशरिकों ने गिरिफ्तार कर लिया तो औफ़ बिन मालिक "رضی الله عنہ" बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुवे और अपनी मुफ्लिसी व फ़ाका मस्ती की शिकायत करते हुवे येह अर्ज़ किया कि मुशरिकों ने मेरे बच्चे को गिरिफ्तार कर लिया है।
जिस के सदमे से उस की मां बेहद परेशान है तो इस सिलसिले में अब मुझे क्या करना चाहिये ?
तो हुजूरﷺ ने फ़रमाया कि तुम सब्र करो और परहेज़गारी की ज़िन्दगी बसर करो और तुम भी ब कषरत
"وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوّة إلا باللَّهِ الْعَلِيّ الْعَظيمِ"
पढ़ा करो और बच्चे की मां को भी ताकीद कर दो कि वोह भी कषरत से इस वज़ीफे का जिक्र करती रहें।
येह सुन कर औफ़ बिन मालिक अशजई "رضی الله عنہ" दोनों मियां बीवी इस वज़ीफे को ब कषरत पढ़ने लगे। इसी दरमियान में वजी़फे का येह अषर हुवा कि एक दिन मुशरिकीन
" सालिम " की तरफ़ से गाफ़िल हो गए।
चुनान्चे , मौक़अ पा कर हज़रते सालिम मुशरिकों की कैद से निकल भागे और चलते वक्त मुशरिकों की चार हज़ार बकरियां और पचास ऊंटों को भी हांक कर साथ लाए और अपने घर पहुंच कर दरवाजा खट - खटाया। मां बाप ने दरवाजा खोला तो हज़रते सालिम मौजूद थे , मां बाप बेटे की नागहां मुलाकात से बेहद खुश हुवे और औफ़ बिन मालिक अशजई "رضی الله عنه" ने
हुजूर ﷺ को अपने बेटे की सलामती के साथ कै़द से रिहाई की ख़बर सुनाई और येह फ़तवा दरयाफ़्त किया कि मुशरिकीन की येह बकरियां और ऊंट हमारे लिये हलाल हैं या नहीं ?
तो हुजूर ﷺ ने उन को इजाजत दे दी कि वोह ऊंटों और बकरियों को जिस तरह चाहें इस्ति ' माल करें।
और इस के बा ' द मुन्दरिजए जैल आयत नाज़िल हुई कि.
"तर्जमए कन्जुल ईमान"
और जो अल्लाह से डरे अल्लाह उस के लिये नजात की राह निकाल देगा और उसे वहां से रोजी देगा जहां उस का गुमान न हो और जो अल्लाह पर भरोसा करे तो वोह उसे काफी है बेशक अल्लाह अपना काम पूरा करने वाला है बेशक अल्लाह ने हर चीज़ का एक अन्दाज़ा रखा है। हदीष शरीफ़ में आया है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है। कि एक ऐसी आयत जानता हूं कि अगर लोग इस आयत को ले लें तो येह आयत लोगों को काफ़ी हो जाएगी।
और वोह आयत येह है "ومن يتق الله" से आखिर आयत तक।
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