M Jamali by السلام علیکم✍️welcome✍️ Islami malumat episode,(03)

Islami malumat episode,(03)



सुवाल= वाजिबुल वुजूद किस को कहते हैं और इस से क्या मुराद है ?                                                                  

जवाब = जाते बारी तआला को वाजिबुल वुजूद कहते हैं और इस से मुराद वोह जात है जिस का वुजूद जरूरी हो। 

सुवाल= अल्लाह तआला के क़दीम और अजली होने का क्या मतलब है?                                                               

जवाब= अल्लाह तआला के क़दीम और अज़ली होने का मतलब येह है कि वोह हमेशा से है।                              

सुवाल= अल्लाह तआला के अबदी होने से क्या मुराद है ? 

जवाब= अल्लाह तआला के अबदी होने से मुराद येह है कि वोह हमेशा रहेगा।                                                        

सुवाल=  इल्मे जाती का क्या माना है ?                        

जवाब= इल्मे जाती का येह माना है कि बे खुदा के दिये खुद हासिल हो।                                                                 

सुवाल= इल्मे जाती किस का खास्सा है ?                        

जवाब= इल्मे ज़ाती अल्लाह तआला का ख़ास्सा है।

सुवाल=अल्लाह तआला की जाती सिफ़ात कौन कौन सी हैं ? 

जवाब= ( 1 ) हयात ( 2 ) कुदरत ( 3 ) सुनना ( 4 ) देखना    ( 5 ) कलाम ( 6 ) इल्म और ( 7 ) इरादा । येह अल्लाह तआला की जाती सिफ़ात हैं।

सुवाल= अल्लाह तआला के कादिर होने से क्या मुराद है ? 

जवाब= मुराद येह है कि वोह हर मुमकिन पर कादिर है कोई मुमकिन उस की कुदरत से बाहर नहीं।                         

सुवाल=


  दुनिया की  ज़िन्दगी में जागती आंखों से अल्लाह तआला का दीदार किस के लिये खास है ?                                


 जवाब= दुनिया की ज़िन्दगी में अल्लाह तआला का दीदार इमामुल अम्बिया हज़रते मुहम्मद मुस्तफा  सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के  लिये ख़ास है। 

सुवाल= आख़िरत में किसे अल्लाह तआला का दीदार नसीब होगा ?                                                                    

जवाब= आख़िरत में हर सुन्नी मुसलमान को अल्लाह तआला का दीदार नसीब होगा।                                              

सुवाल= क्या अल्लाह तआला की ज़ात व सिफ़ात के सिवा कोई चीज़ क़दीम है ?                                                

जवाब= जी नहीं बल्कि अल्लाह तआला की जात व सिफ़ात के सिवा सब चीजें हादिस हैं यानी पहले न थीं फिर मौजूद हुई।

सुवाल - तक़दीर का मतलब क्या है ?                           

जवाब= हर भलाई , बुराई उस ने अपने इल्मे अज़ली के मुवाफ़िक मुक़द्दर फ़रमा दी है जैसा होने वाला था और जो जैसा करने वाला था अपने इल्म से जाना और वोही लिख लिया। तो येह नहीं कि जैसा उस ने लिख दिया वैसा हम को करना पड़ता है बल्कि जैसा हम करने वाले थे वैसा उस ने लिख दिया । जैद के ज़िम्मे बुराई लिखी इस लिये कि ज़ैद बुराई करने वाला था अगर जैद भलाई करने वाला होता वोह उस के लिये भलाई लिखता तो उस के इल्म या उस के लिख देने ने किसी को मजबर नहीं कर दिया।                        

सुवाल= कोई बुराई सरज़द हो जाने पर इसे तक़दीर की तरफ़ मन्सूब करना कैसा है ?                                               

जवाब= बुरा काम कर के तक़दीर की तरफ़ निस्बत करना और मशिय्यते इलाही के हवाले करना बहुत बुरी बात है बल्कि हुक्म येह है कि जो अच्छा काम करे उसे मिन जानिबिल्लाह कहे और जो बुराई सरज़द हो उस को शामते नफ्स तसव्वुर करे।



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